बदलते मौसम में
सांस के रोगियों में दमा के
लक्षणों में खासी वृद्धि हो जाती
है। मौसम के प्रभाव से सांस की
नलियों में सूजन और सिकुड़न आ
जाती है। इससे रोगी को सांस लेने में
कठिनाई महसूस होती है।
कारण: इस रोग
के तमाम कारण हैं। इन
कारणों में प्रमुख रूप से
धूल (घर या बाहर की) या
पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं,
सिगरेट- बीड़ी का धुआं, औद्योगिक
वायु प्रदूषण, नमी, सीलन आदि को
शामिल किया जाता है। फूलों के परा-
गकण के साथ-साथ मौसम में परिवर्तन
भी दमा की समस्या बढ़ा देता है।
A–लक्षण
1-खांसी और बलगम
आना। यह समस्या रात में
बढ़ जाती है।
2-सांस लेने में कठिनाई।
3-सीने में कसाव या जकड़न।
4-सीने से घरघराहट जैसी आवाज आना।
5-गले से सीटी जैसी आवाज
आना और बार-बार जुकाम होना।
B–जांचें: अधिकतर
लक्षणों के आधार पर
और सीने में आला लगाकर
रोग का पता लगाते हैं। इसके
अलावा सीने का एक्स-रे और
फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच
की जाती है।
C–दमा के इलाज में ये दवाएं कारगर हैं..
1.रिलीवर इन्हेलर्स: ये
जल्दी से सक्रिय होकर सांस
की नलिकाओं की मांसपेशियों का
तनाव ढीला करते हैं और तुरन्त असर
करते हैं। इन्हें सांस फूलने पर लेना होता है।
2.कंट्रोलर इन्हेलर्स: ये सांस
नलियों में उत्तेजना और सूजन घटाकर
उन्हें अधिक संवेदनशील बनने से रोकते हैं
और गंभीर दौरे के खतरे को कम करते हैं।